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नाखून - कुदरत की नियामत

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कुदरत ने सभी कुछ आंखों के सामने रख दिया है पर अज्ञानता के कारण समझ में नही आता। नाखूनों के रंग से बहुत कुछ पता चलता है पर बेपरवाह इस पर ध्यान ही नही देते। यहां 7 तरह के नाखूनो की चर्चा करते है जो बताते हैं कि सेहत कैसी है। रंग-बनावट से बीमारी की पहचान कैसे करें। यहां यह सुनाश्चित करना है कि द युवा ज्ञान हस्ताक्षर ना तो इसकी सत्यता पर और ना ही इसके गलत होने पर कोई टिप्पणी करता है और ना ही कोई जिम्मेदारी लेता है। ये सब प्रचलित विचारों से लिए गए हैं इस लिए इनको आजमाने से पहले विशेषज्ञ से अच्छी प्रकार जांच पड़ताल करना चाहिए। नाखून के रंग और बनावट से सेहत के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं। नाखून के बदलते रंग बताते हैं कि शरीर अंदर ही अंदर किन बीमारियों से जूझ रहा है। नाखूनों पर ध्यान देकर किसी भी तरह की गंभीर बीमारी से बच सकते हैं। नाखून से जुड़े किन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए उस पर चर्चा करते हैं।

टूटे नाखून: ब्रिटल नेल्स यानी नाखूनों का बार-बार टूटना बताता है कि नाखून कितने कमजोर हो चुके है। नाखून की ये स्थिति बताती है कि शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी है। जब नाखून तिरछे ढंग से टूटते हैं तो इसे ओनिकोस्चिजिया कहते हैं। वहीं नाखून जब बढ़ने वाली दिशा में ही टूटते हैं तो इसे ओनीकोरहेक्सिस कहते हैं।

फीके ​नाखून: नाखून के रंग का हल्का पड़ा जाना उम्र बढ़ने का सामान्य संकेत है। 60 साल से अधिक उम्र के ज्यादातर लोगों के नाखून हल्के रंग के होते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, फीके नाखून किसी ना किसी बीमारी का भी संकेत देते हैं।जैसे की शरीर में खून की कमी होना, कुपोषण, लिवर की बीमारी या फिर हार्ट फेलियर।अगर नाखून का रंग खत्म होने के साथ आपको कुछ और लक्षण भी महसूस हो रहे हैं तो अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

सफेद नाखून: कई बार चोट लगने पर हमारे नाखून सफेद हो जाते हैं लेकिन अगर सभी नाखून धीरे-धीरे सफेद हो रहे हैं, तो डॉक्टर से इसके बारे में बात करनी चाहिए. सफेद नाखून के सिरे पर जब गुलाबी लाइन दिखाई देती है तो इसे टेरीज नेल कहा जाता है. इस तरह के नाखून लिवर से जुड़ी बीमारी, क्रोनिक किडनी डिजीज और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर जैसी बीमारियों का संकेत देते हैं।

पीले नाखून: पीले नाखून ज्यादातर फंगल इंफेक्शन की वजह से होते हैं. इस तरह के नाखून सोरायसिस, थायराइड और डायबिटीज के संकेत देते हैं। येलो नेल सिंड्रोम (YNS) नामक एक दुर्लभ बीमारी उन लोगों में पाई जाती हैं जिन्हे फेफड़ों से जुड़ी कोई समस्या होती है या फिर जिनके हाथ-पैरों में अक्सर सूजन रहती है। हालांकि विटामिन E की मदद से ये बीमारी अक्सर दूर हो जाती है।

नीले नाखून: नाखून के नीले पड़ जाने के कई कारण हो सकते हैं।इसे ब्लू पिगमेंटेशन नेल्स भी कहा जाता है। आमतौर पर ये चांदी के ज्यादा संपर्क में रहने की वजह से हो जाता है। मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल दवाएं, दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाली दवाएं और लिवर की दवाएं भी ब्लू पिगमेंटेशन का कारण बन सकती हैं। HIV के मरीजों के नाखून भी नीले पड़ जाते हैं।

नाखून में गड्ढे बनना: नाखूनों पर छोटे-छोटे गड्ढे या धंसने के निशान होना सोरायसिस बीमारी का संकेत है।आमतौर पर ये डर्मेटाइटिस के मरीजों के नाखूनों पर देखा जाता है।ये त्वचा से जुड़ी एक बीमारी है जिसमें स्किन पर चकत्ते के साथ तेज खुजली, जलन और सूजन होती है।

नाखूनों के नीचे गहरे रंग की रेखाएं: नाखून के नीचे गहरे भूरे/काले रंग की लकीर होने के कई कारण हो सकते हैं।ये स्किन कैंसर का एक लक्षण हो सकता है लेकिन इसकी जांच के लिए बायोप्सी की जानी जरूरी होती है।नाखून से जुड़े ये छोटे-छोटे लक्षण कई बीमारियों के बारे में बताते हैं. इसलिए इन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए परंतु डॉक्टर की सलाह हर हालत में लेना चाहिए।

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